सॉफ्टवेयर कैसे सुरक्षित होता है

                  सॉफ्टवेयर कैसे सुरक्षित होता है

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सॉफ्टवेयर कानून में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अन्दर सुरक्षित होता है। ट्रिप्स में सात प्रकार के बौद्धिक सम्पदा अधिकार के बारे में चर्चा की गयी है इसमें तीन प्रकार के अधिकार, यानि की कॉपीराइट (Copyright), ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret), तथा पेटेंट (Patent या एकस्व), कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को प्रभावित करते हैं। सॉफ्टवेयर को पेटेंट कराने का मुद्दा विवादास्पद है तथा कुछ कठिन भी। इसकी चर्चा हम अलग से पेटेंट एवं कमप्यूटर सॉफ्टवेयर के अन्दर की गई है।
  • कॉपीराइट के प्रकार: ‘सोर्स कोड और ऑबजेक्ट कोड’ शीर्षक के अन्दर पर चर्चा की थी कि आजकल सोर्सकोड उच्चस्तरीय कंप्यूटर भाषाओं (high level languages) में अंग्रेजी भाषा के शब्दों एवं वर्णमाला का प्रयोग करते हुये लिखा जाता है। यह उस सॉफ्टवेयर के कार्य करने के ठंग को बताता है तथा यह एक प्रकार का वर्णन है। यदि, इसे प्रकाशित किया जाता है तो उस सॉफ्टवेयर के मालिक या जिसने उसे लिखा है उसका कॉपीराइट होता है।
ऑब्जेक्ट कोड कम्प्यूटर को चलाता है और यह सदा प्रकाशित होता है, परन्तु क्या यह किसी चीज़ का वर्णन है अथवा नहीं इस बारे में शंका थी। ट्रिप्स के समझौते के अन्दर यह कहा गया कि कंप्यूटर प्रोग्राम को कॉपीराइट के समान सुरक्षित किया जाय। इसलिये ऑब्जेक्ट कोड हमारे देश में तथा संसार के अन्य देशों में इसी प्रकार से सुरक्षित किया गया है।
कंप्यूटर प्रोग्राम के ऑबजेक्ट कोड तो प्रकाशित होतें हैं पर सबके सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं। जिन कमप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित किये जाते हैं उनमें तो वे कॉपीराइट से सुरक्षित होते हैं। पर जिन कंप्यूटर प्रोग्राम के सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किये जाते हैं वे ट्रेड सीक्रेट की तरह सुरक्षित होते हैं।
  • ट्रेड सीक्रेट की तरह: मालिकाना कंप्यूटर प्रोग्राम में सामान्यत: सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किया जाता है तथा वे सोर्स कोड को ट्रेड सीक्रेट की तरह ही सुरक्षित करते हैं। यह भी सोचने की बात है कि वे सोर्स कोड क्यों नहीं प्रकाशित करते हैं?
सोर्स कोड से ऑब्जेक्ट कोड कम्पाईल (compile) करना आसान है; यह हमेशा किया जाता है और इसी तरह प्रोग्राम लिखा जाता है। पर इसका उल्टा यानि कि ऑबजेक्ट कोड से सोर्स कोड मालूम करना असम्भव तो नहीं पर बहुत मुश्किल तथा महंगा है। इस पर रिवर्स इन्जीनियरिंग का कानून भी लागू होता है। इसी लिये सोर्स कोड प्रकाशित नहीं किया जाता है। इसे गोपनीय रख कर, इसे ज्यादा आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है। रिवर्स इन्जीनियरिंग भी रोचक विषय है, इसके बारे पर फिर कभी।
  • पेटेन्ट की तरह: ‘बौद्धिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights)’ शीर्षक में चर्चा हुई थी कि सॉफ्टवेयर को पेटेन्ट के द्वारा भी सुरक्षित करने के भी तरीके हैं कई मालिकाना सॉफ्टवेयर इस तरह से भी सुरक्षित हैं पर यह न केवल विवादास्पद हैं, पर कुछ कठिन भी हैं। इसके बारे में फिर कभी।
  • सविंदा कानून के द्वारा: सविंदा कानून (Contract Act) भी सॉफ्टवेयर की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप इस धोखे में न रहें कि आप कोई सॉफ्टवेयर खरीदते हैं। आप तो केवल उसको प्रयोग करने के लिये लाइसेंस लेते हैंl आप उसे किस तरह से प्रयोग कर सकते हैं यह उसकी शर्तों पर निर्भर करता है। लाइसेंस की शर्तें महत्वपूर्ण हैं। यह सविंदा कानून के अन्दर आता है।

ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर में सोर्स कोड हमेशा प्रकाशित होता है। इसके लिखने वाले इस पर किस तरह का अधिकार रखते हैं यह लाइसेंसों की शर्तों पर निर्भर करता है, जिनके अन्तर्गत वे प्रकाशित किये जाते हैं। ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर में कुछ लाइसेन्स की शर्तें उसे कॉपीलेफ्ट (Copyleft) करती हैं। इसे फ्री सॉफ्टवेर या जीपीएल्ड सॉफ्टवेर (GPLed) भी कहा जाता है। इन सोफ्ट्वेयर को कोइ भी व्यक्ति मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है, इस्तेमाल कर सकता है, वितरीत कर सकता है एवम इसमे अपनी जरूरत के मुताबिक बदलाव भी कर सकता है। ओपन सोर्स सोफ्टवेयर केवल मशीनी सामग्री भर न हो कर तकनीक, विज्ञान और कला का अद्भूत सन्गम है। इसने कम्प्यूटर जगत में एक क्रान्ति की शुरुआत कर दी है। केवल ओपन सोर्स सोफ्टवेयर ही सम्पूर्ण विश्व में अधिकाधिक लोगों तक कम्प्यूटर तकनीक को पहुँचाने के सपने को पूरा करता है। 
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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